April 17, 2025
Shri Siddhivinayak Aarti

5 शक्तिशाली लाभ: ‘Shri Siddhivinayak Aarti: का अद्भुत प्रभाव

Shri Siddhivinayak Aarti

Shri Siddhivinayak Aarti: सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।

“5 शक्तिशाली लाभ: ‘Shri Siddhivinayak Aarti: का अद्भुत प्रभाव”

Shri Siddhivinayak Aarti:श्री सिद्ध विनायक
भगवान श्री गणेश मंदिर, मुंबई में स्थित एक प्रमुख
धार्मिक स्थल है। यहाँ हर दिन होने वाली Shri
Siddhivinayak Aarti: भक्तों के लिए एक अद्वितीय
अनुभव होती है। इस आरती में, भगवान श्री गणेश की
विभिन्न स्तुतियाँ गाई जाती हैं, जो उनके दिव्य गुणों और
महिमा को उजागर करती हैं।

Shri Siddhivinayak Aarti:: के दौरान, गणेश जी की
स्तुतियों के साथ-साथ भगवान शिव और देवी दुर्गा की
स्तुतियाँ भी जोड़ी जाती हैं। यह विशेष संयोजन एक
आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण करता है और
श्रद्धालुओं को सच्चे भक्ति और समर्पण के भाव में डूबने
का अवसर प्रदान करता है।

Shri Siddhivinayak Aarti: का पाठ भक्तों को एक
विशेष आध्यात्मिक अनुभूति से भर देता है। जब आरती
की धुन गूंजती है, तो उसकी भक्ति और श्रद्धा से मन में
एक अद्भुत शांति और उल्लास का अनुभव होता है। इस
आरती के शब्द और लय भक्तों के रोम-रोम को पुलकित
कर देते हैं, जिससे भगवान गणेश की कृपा का अहसास
होता है। Shri Siddhivinayak Aarti: भगवान गणेश
की महिमा और उनकी कृपा का प्रतीक है, जो हर
मुश्किल को दूर कर, भक्तों को सफलता और समृद्धि
प्रदान करती है।

Shri Siddhivinayak Aarti: की धुन और शब्दों में
भगवान के प्रति समर्पण और आस्था की ऊर्जा होती है,
जिससे हर कोई आनंदित हो उठता है।

1. विघ्नों का नाश:
Shri Siddhivinayak Aarti:”सुखकर्ता दुखहर्ता” का पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं और रुकावटें दूर हो जाती हैं। यह आरती भक्तों के रास्ते में आने वाले हर संकट का निवारण करती है।

2. मानसिक शांति और स्थिरता:
Shri Siddhivinayak Aarti: का नियमित पाठ मानसिक तनाव और चिंताओं को कम करता है। भक्तों को आंतरिक शांति का अनुभव होता है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस से कर पाते हैं।

3. आध्यात्मिक उन्नति:
आरती का भावपूर्ण पाठ भक्तों को भगवान गणेश के करीब लाता है। यह आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे भक्तों की आस्था और विश्वास मजबूत होते हैं।

4. परिवार में समृद्धि और खुशहाली:
श्री गणेश की आरती से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। पारिवारिक जीवन में आनंद और उत्साह बना रहता है, जिससे आपसी प्रेम और समझ बढ़ती है।

5. सफलता का आशीर्वाद:
भगवान गणेश को “सिद्धि विनायक” कहा जाता है, जो सफलता के देवता हैं। उनकी आरती का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है, चाहे वह व्यवसाय हो या शिक्षा।

!! Shri Siddhivinayak Aarti !!

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।
कंठी झलके माल मुकताफळांची ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।
दास रामाचा वाट पाहे सदना ।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

॥ श्री गणेशाची आरती ॥
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

॥ श्री शंकराची आरती ॥
लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा,
वीषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा
लावण्य सुंदर मस्तकी बाळा,
तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा,
अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा
विभुतीचे उधळण शितकंठ नीळा,
ऐसा शंकर शोभे उमा वेल्हाळा ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले,
त्यामाजी अवचित हळहळ जे उठले
ते त्वा असुरपणे प्राशन केले,
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी,
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी
शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी,
रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

॥ श्री देवीची आरती ॥
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी,
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ।
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी,
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवर-ईश्वर-वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही,
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ।
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही,
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां,
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ।
अंवे तुजवांचून कोण पुरविल आशा,
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

॥ घालीन लोटांगण आरती ॥
घालीन लोटांगण, वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें ।
प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन ।
भावें ओवाळीन म्हणे नामा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बंधुक्ष्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विध्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥

कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा,
बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात ।
करोमि यध्य्त सकलं परस्मे,
नारायणायेति समर्पयामि ॥

अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ॥

हरे राम हर राम,
राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

गणेश उत्सव 2024 की तारीख और समय (Ganesh Utsav Kab Hai 2024?)

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© Puzanam.com 2024-2025