Shri Ranganathashtakam: श्री रङ्गनाथाष्टकम्

Shri Ranganathashtakam: श्री रङ्गनाथाष्टकम्

Shri Ranganathashtakam: श्री रङ्गनाथाष्टकम् आनन्दरूपे निजबोधरूपे ब्रह्मस्वरूपे श्रुतिमूर्तिरूपे ।शशाङ्करूपे रमणीयरूपे श्रीरङ्गरूपे रमतां मनो मे ॥ १॥ कावेरितीरे करुणाविलोले मन्दारमूले धृतचारुचेले ।दैत्यान्तकालेऽखिललोकलीले श्रीरङ्गलीले रमतां मनो मे ॥ २॥ लक्ष्मीनिवासे जगतां निवासे हृत्पद्मवासे रविबिम्बवासेकृपानिवासे गुणवृन्दवासे श्रीरङ्गवासे रमतां मनो मे ॥ ३॥ ब्रह्मादिवन्द्ये जगदेकवन्द्ये मुकुन्दवन्द्ये सुरनाथवन्द्ये ।व्यासादिवन्द्ये सनकादिवन्द्ये श्रीरङ्गवन्द्ये रमतां मनो मे ॥ ४॥ ब्रह्माधिराजे गरुडाधिराजे वैकुण्ठराजे सुरराजराजे … Read more

Narmada Ashtakam: श्री नर्मदा अष्टकम

Narmada Ashtakam: श्री नर्मदा अष्टकम

Narmada Ashtakam: श्री नर्मदा अष्टकम सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम द्विषत्सु पापजात जात कारि वारि संयुतम कृतान्त दूत काल भुतभीति हारि वर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥ त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम कलौ मलौघभारहारि सर्वतीर्थ नायकं सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्रचक्रवाक् शर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥ महागभीर नीर पुर … Read more

Maa Ganga Stotram: माँ गंगा स्तोत्रम्

Here’s a refined prompt for generating an image of Maa Ganga: **Prompt:** "Create an ethereal image of Maa Ganga, the divine goddess of the Ganges, seated on a lotus in the middle of a flowing river. She is dressed in a radiant white sari with golden borders, her serene face exuding peace and compassion. In one hand, she holds a kalash (water pot) and in the other, a blooming lotus flower. A soft golden light surrounds her, emphasizing her divine presence. The background showcases the majestic flow of the Ganga River with distant mountains and a golden sunrise. The image should feel peaceful, vibrant, and sacred, suitable for a YouTube thumbnail." माँ गंगा स्तोत्रम्, 2. Maa Ganga Stotram

Maa Ganga Stotram: माँ गंगा स्तोत्रम् देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे ।शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ॥१॥ भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः ।नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ २॥ हरिपदपाद्यतरङ्गिणि गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे ।दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ ३॥ तव जलममलं येन निपीतं, परमपदं खलु तेन गृहीतम् ।मातर्गङ्गे त्वयि … Read more

Kamal Netra Stotram: कमल नेत्र स्त्रोत्रम

Kamal Netra Stotram

कमल नेत्र स्त्रोत्रम् भगवान विष्णु के एक अत्यन्त पवित्र स्तोत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्तोत्र उनके कमल जैसे नेत्रों की महिमा का बखान करता है। भगवान विष्णु का रूप एवं गुण का विस्तृत वर्णन इस स्तोत्र में किया गया है, जिसमें उनके सौम्य और सुंदर कमल जैसे नेत्रों को विशेष रूप से सराहा … Read more

Kanakdhara Stotram: श्री कनकधारा स्तोत्रम्

श्री कनकधारा स्तोत्रम्, Kanakdhara Stotram,

Kanakdhara Stotram: श्री कनकधारा स्तोत्रम् अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवतायाः ।। मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारैः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवायाः ।। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिरायः ।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्ममभुजंगरायांगनायाः ।। बाह्यन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभै या … Read more

Shiva Tandava Stotram: शिवताण्डवस्तोत्रम्

Shiva Tandava Stotram

Shiva Tandava Stotram: शिवताण्डवस्तोत्रम् जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी_विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावकेकिशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥ धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुरस्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदिक्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥ लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभाकदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर_प्रसूनधूलिधोरणी बिधूसरा‌ङ्घ्रिपीठभूः ।भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियैचिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरःललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा ॥५॥ निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरंमहाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रकप्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥ नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु … Read more

Kalabhairava Stotram: कालभैरव स्त्रोत्रम

Kalabhairava Stotram

Kalabhairava Stotram: कालभैरव स्त्रोत्रम देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजंव्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥१॥ भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परंनीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥२॥ शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणंश्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥३॥ भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहंभक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥४॥ धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकंकर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥५॥ रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकंनित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥६॥ अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिंदृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥७॥ भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकंकाशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिंकाशिकापुराधिनाथकालभैरवं … Read more

Rahu Stotram in Sanskrit: राहु स्तोत्रम्

Rahu Stotram in Sanskrit

Rahu Stotram in Sanskrit: राहु स्तोत्रम् अस्य श्रीराहुस्तोत्रस्य वामदेव ऋषिः । गायत्री छन्दः ।राहुर्देवता । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥ राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥ रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २ ॥ कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठहृदयाश्रयः ।विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ३ ॥ ग्रहपीडाकरो द्रष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।पञ्चविंशति नामानि … Read more

Siddha Kunjika Stotram: सिद्धकुन्जिका स्तोत्रं

Siddha Kunjika Stotram

Siddha Kunjika Stotram: सिद्धकुन्जिका स्तोत्रं शिव उवाच– शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् । येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥१॥ न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् । न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥ कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् । अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥ गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति । मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् । … Read more

Bhaktamar Stotra भक्तामर स्तोत्र

Bhaktamar Stotra भक्तामर स्तोत्र वसंततिलकावृत्तम् सर्व विघ्न उपद्रवनाशक भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा-मुद्योतकं दलित-पाप-तमो-वितानम्।सम्यक्प्रणम्य जिन-पाद-युगं युगादा-वालम्बनं भव-जले पततां जनानाम् ॥1॥ यःसंस्तुतः सकल-वांग्मय-तत्त्वबोधा-दुद्धृत-बुद्धि-पटुभिः सुरलोक-नाथै।स्तोत्रैर्जगत्त्रितय-चित्त-हरे-रुदारैः,स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम् ॥2॥ बुद्धया विनापि विबुधार्चित-पाद-पीठ,स्तोतुं समुद्यत-मतिर्विगत-त्रपोहम्।बालं विहाय जल-संस्थित-मिन्दु-बिम्ब-मन्यःक इच्छति जनः सहसा ग्रहीतुम् ॥3॥ वक्तुं गुणान् गुण-समुद्र ! शशांक कांतान्,कस्ते क्षमः सुर-गुरु-प्रतिमोपि बुद्धया।कल्पांत-काल-पवनोद्धत-नक्र-चक्र,को वा तरीतु-मलमम्बु निधि भुजाभ्याम् ॥4॥ सोहं तथापि तव भक्ति-वशान्मुनीश,कर्तुं स्तवं विगत-शक्ति-रपि … Read more