April 17, 2025
hartalika teej

hartalika teej 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, और पूजा विधि

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hartalika teej 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, और पूजा विधि

हरतालिका तीज हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करना है। और भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा अर्चना करना है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है।

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं, जिसमें बिना अन्न-जल ग्रहण किए पूरे दिन उपवास रखती है। यह व्रत महिलाओं के समर्पण, त्याग और अपने पति के प्रति अटूट प्रेम का प्रतीक है। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजती-संवरती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा अपने हाँथों से बना कर पूजा करती हैं।


2024 में hartalika teej 2024: की डेट:

इस साल में हरतालिका (तीज) का व्रत शुक्रवार 6 सितंबर, 2024 को रखा पर रहा है । हिन्दू धर्म के अनुसार यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि तीज के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और गीत गायन भजन कर भगवान शिव और माता पार्वती के नाम से रातभर जागरण करती हैं।

शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है इससे यह को संध्या के समय करना ज्यादा उचित होगा क्योंकि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल से रात्रि काल तक किया जाता है इस कारण संध्या काल में पूजा करना ज्यादा सही माना जाता है तो आइए इस साल तीज व्रत का शुभ मुहूर्त कब है जानतें हैं

hartalika teej 2024: व्रत के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • तृतीया तिथि की प्रारम्भ: 5 सितंबर 2024, दोपहर 12:25 बजे
  • तृतीया तिथि का समापन: 6 सितंबर 2024, दोपहर 3:01 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: 6 सितंबर 2024 को प्रातः 6:01 बजे से रात्रि 2 बजे तक का मुहूर्त है लेकिन प्रदोष काल मुहूर्त संध्या 3 बजे से रात्रि 7 बजे तक विशेष
    रात्रि 7 बजे से 12 बजे तक और फिर रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक का मुहूर्त है।

इस मुहूर्त में पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इस प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने पर विशेष फल प्राप्त होता है।

hartalika teej का महत्व:

हरतालिका तीज का व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह महिलाओं के लिए गहरी भावनात्मक और सामाजिक महत्व भी रखता है। इस दिन, सुहागिन स्त्रियां अपने परिवार और पति के सुख, समृद्धि और दीर्घायु की कामना करते हुए यह व्रत रखती हैं। यह निर्जला व्रत होता है, जिसे निभाना कोई आसान काम नहीं है। बिना अन्न और जल के, पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ महिलाएं यह कठिन तपस्या करती हैं।

महिलाओं के इस व्रत के पीछे निहित प्रेम, निष्ठा और विश्वास छुपा होता है अपने पति और परिवार के लिए। यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि अपने जीवनसाथी के प्रति उनकी अपार ममता और सम्मान का प्रतीक है।
हरतालिका तीज का पर्व सुहागिन स्त्रियों के लिए खास महत्व रखता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

यह व्रत उन कठोर व्रतों में से एक है जिसे निर्जला रखा जाता है, यानी व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन जल का सेवन भी नहीं करतीं।

धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन किया था। उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। तब से ही यह व्रत सुहागिन स्त्रियों द्वारा किया जाने लगा। इसके अलावा, कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं।

hartalika teej: पूजा विधि

  1. श्रीगणेश की पूजा:
    किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी की
    पूजा की जाती है hartalika teej व्रत के दिन प्रातः काल में सबेरे जल्दी उठ कर अपने नित्य कर्म स्नान आदि को करें उसके बाद पहले किसी शुद्ध स्थान से जा कर महिलाएं प्रतिमा निर्माण के लिए मिट्टी खोद कर लाए मिट्टी खोदते समय इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दे कि जहाँ से भी आप मिट्टी ले रहे हैं वो स्थान साफ सुथरा हो उसके बाद ऊपर की मिट्टी को हटा कर अंदर की मिट्टी को उठाएं उसके बाद उस मिट्टी से बनी भगवान गणेश, भगवान भोलेनाथ, और माता पार्वती की प्रतिमाओं का निर्माण कर उनके सामने महिलाएं अपनी श्रद्धा प्रकट करती हैं।

इन प्रतिमाओं को अपने हाथों से बनाना ही अपने आप में एक विशेष अनुभव है, जो सृजन और आस्था की भावना को और प्रबल करता है। भगवान गणेश की पूजा को अब शुरू करें पहले अपने हाँथों में फूल लेकर भगवान श्री गणेश जी का ध्यान करें उसके बाद जल से आचमन कराये फिर सामान्य जल से स्नान कराएं फिर पंचामृत से स्नान करा कर तब शुद्ध गंगा जल से स्नान कराएं उसके बाद चन्द कुमकुम हल्दीचुर्ण, अरवाचावल,तिल,दूर्वा और फूल माला बेलपत्र आदि चढ़ाए और अब धूप दीप की दरश दिखाए और मोदकप्रसाद अर्पित करें।

  1. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा:
    भगवान गणेश की पूजा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। ऊपर गणेश जी की पूजा में विधि बताया गया है उसी विधि से शिव और पार्वती जी की पूजा करें और साथ में बिल्वपत्र और शमीपत्र विशेष मात्रा में अर्पित करें। इस प्रकार से hartalika teej व्रत की पूजा करें
  2. व्रत कथा का श्रवण:
    पूजा के बाद व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें व्रत कथा और महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की कहानी से प्रेरणा लें। यह कथा केवल एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि उन कठिनाइयों और संघर्षों की याद दिलाती है, जिन्हें हर महिला अपने जीवन में झेलती होती है और फिर भी अपने प्रेम और विश्वास को बनाए रखती है। कथा सुनते समय, वे अपने जीवन के हर संघर्ष में धैर्य और निष्ठा बनाए रखने की प्रेरणा पाती हैं।
  3. आरती और भोग:
    कथा श्रवण के बाद अंत में भगवान शिव और माता पार्वती जी की आरती जरूर से करें । क्योंकि अंत में, जब आरती की जाती है, तो हर महिला के मन में एक अद्वितीय शांति और संतोष की भावना उत्पन्न होती है। यह वह क्षण होता है जब वे अपने समर्पण और तपस्या का फल अनुभव करती हैं। भोग अर्पित करते समय, उनकी आंखों में अपने परिवार और प्रियजनों की खुशियों के लिए आशीर्वाद की कामना होती है। जब वे भोग को परिवार के साथ वितरण करती हैं, तो यह एक ऐसी अनुभूति होती है, जो उन्हें एकता और प्रेम की भावना से भर देती है।

hartalika teej की यह पूजा विधि हर स्त्री के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जहां वे अपनी आस्था, प्रेम और समर्पण को एक नए रूप में अनुभव करती हैं।

hartalika teej पूजा सामाग्री


hartalika teej व्रत की पूजा सामग्री
रोड़ी, कुमकुम,चावल,तिल, मौलिसुत,अबीर,हल्दीचुर्ण,
पंचामृत, फूल,बेलपत्र, तुलसी पत्र,सम्मी पत्र,दूर्वा,गंगा जल भगवान का वस्त्र,आभूषण भोग प्रसाद की सामाग्री,
पंचफल,अगरबत्ती, धूप,कपूर,माचिस,शुद्ध घी,दिया,
रुईबाती,पान,सुपारी,लौंग,इलायची, सुन्धित तेल,इतर,गुलाब जल, कुशा की आसन

hartalika teej की विशेषताएँ:

  • यह व्रत पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ किया जाता है।
  • व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और दिनभर पूजा-अर्चना में व्यस्त रहती हैं।
  • रातभर जागरण किया जाता है और भजन-कीर्तन के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का गुणगान किया जाता है।

hartalika teej का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह विवाहित जीवन में प्रेम, सौहार्द और सामंजस्य को भी बढ़ाता है। सुहागिन स्त्रियों के लिए यह पर्व उनकी आस्था और पति के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।

Shiv Ji Ki Aarti: शिवजी की आरती

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