March 27, 2025
Kartik Purnima 2024 Date: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें व्रत, स्नान-दान की सही तारीख, मुहूर्त और महत्व

Kartik Purnima 2024 Date: कब है कार्तिकपूर्णिमा? जानें व्रत, स्नान-दान की सही तारीख, मुहूर्तऔर महत्व

Kartik Purnima 2024 Date: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें व्रत, स्नान-दान की सही तारीख, मुहूर्त और महत्व

Kartik Purnima 2024 Date: कब है कार्तिक
पूर्णिमा? जानें व्रत, स्नान-दान की सही तारीख, मुहूर्त
और महत्व

हिंदू धर्म में Kartik Purnima का विशेष महत्व है। इसे
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और
इस दिन व्रत, स्नान और दान का विशेष महत्व होता है।
कार्तिक पूर्णिमा को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ और ‘गंगा स्नान’ के
नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस
दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य को समस्त
पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का
आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Kartik Purnima 2024 Date और समय

Kartik Purnima 2024 Date का पर्व इस वर्ष 15 नवंबर 2024 को
मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर को सुबह 06:19
बजे से होगा और इसका समापन अगले दिन 16 नवंबर
को सुबह 02:58 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार,
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और स्नान 15 नवंबर को करना
शुभ माना गया है। इस दिन श्रद्धालु गंगा नदी समेत अन्य
पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान करते हैं।

Kartik Purnima 2024 Date का महत्व

  1. कार्तिक पूर्णिमा 2024

कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 15 नवंबर सुबह 06:19 बजे

पूर्णिमा तिथि का समापन: 16 नवंबर सुबह 02:58 बजे

  1. व्रत और स्नान का महत्व

उदया तिथि के अनुसार, 15 नवंबर को व्रत और स्नान करना शुभ माना गया है।

इस दिन श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
बहुत अधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान
विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था और इस अवतार
में उन्होंने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। इसी दिन
भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर
तीनों लोकों की रक्षा की थी। इस कारण इसे ‘त्रिपुरी
पूर्णिमा’ भी कहते हैं।

  1. स्नान और दान का महत्व: Kartik Purnima के दिन
    पवित्र नदियों में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान देने
    का बहुत महत्व है। गंगा स्नान को विशेष रूप से
    पुण्यदायी माना गया है। यह दिन मोक्ष प्राप्ति का अवसर
    प्रदान करता है और इसे पवित्र कार्यों के लिए उपयुक्त
    माना गया है।
  2. दीपदान का महत्व: इस दिन दीप जलाने का भी खास
    महत्व है। लोग गंगा नदी के किनारे दीपदान करते हैं और
    अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। ऐसा माना जाता है
    कि इस दिन दीप जलाने से सभी प्रकार की नकारात्मक
    ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  3. धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ: कार्तिक पूर्णिमा के
    दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने का विशेष
    फल मिलता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु का स्मरण
    करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं। इस दिन तुलसी
    माता की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

Kartik Purnima के व्रत की पूजा विधि और मंत्र

भगवान विष्णु और भगवान शिव के कुछ महत्वपूर्ण मंत्र
यहां दिए गए हैं। ये मंत्र ध्यान, पूजा और भक्ति में प्रयोग
किए जाते हैं और मन को शांति व भक्ति भाव से भर देते हैं।

भगवान विष्णु के मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

अर्थ: “मैं भगवान वासुदेव को नमस्कार करता हूँ।”

ॐ विष्णवे नमः

अर्थ: “भगवान विष्णु को मेरा नमन।”

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः
प्रचोदयात्

अर्थ: “हम नारायण का ध्यान करते हैं, वासुदेव का ध्यान
करते हैं; भगवान विष्णु हमें बुद्धि प्रदान करें।”

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

अर्थ: यह विष्णु स्तुति का मंत्र है, जो भगवान विष्णु की
महिमा का बखान करता है।

भगवान शिव के मंत्र

ॐ नमः शिवाय

अर्थ: “भगवान शिव को मेरा नमन।”

महा मृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

अर्थ: “हम तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं,
जो हमें पोषण और समृद्धि प्रदान करते हैं। जैसे ककड़ी
बेल से अलग हो जाती है, वैसे ही हमें मृत्यु से मुक्त कर
अमरता प्रदान करें।”

ॐ नमो निलकण्ठाय

अर्थ: “मैं भगवान नीलकंठ को प्रणाम करता हूँ।”

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्

अर्थ: “हम उस महादेव का ध्यान करते हैं जो परम पुरुष
हैं; भगवान रुद्र हमें बुद्धि प्रदान करें।”

ये मंत्र भगवान विष्णु और भगवान शिव के ध्यान, पूजा
और भक्ति में शक्ति प्रदान करते हैं। इन्हें नियमित जपने
से मन में शांति और सकारात्मकता आती है।

Kartik Purnima के दिन व्रत रखने वाले भक्तों को सुबह
जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और पवित्र नदियों में
स्नान का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद भगवान
विष्णु और शिव की पूजा की जाती है। घर में दीप जलाने
का विशेष विधान होता है और तुलसी माता की पूजा की
जाती है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और
रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं।

स्नान और दीपदान का महत्त्व

Kartik Purnima पर गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना
जाता है। इस दिन दीपदान करने से घर में सुख, शांति
और समृद्धि आती है। कहा जाता है कि जो लोग इस
दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दीपदान करते हैं, वे
जीवन के सभी दुखों से मुक्त हो जाते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर की जाने वाली पूजा:

Kartik Purnima पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और
भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन का धार्मिक
महत्व बहुत अधिक होता है, और इसे भगवान विष्णु के
मत्स्य अवतार और भगवान शिव के त्रिपुरासुर राक्षस पर
विजय से भी जोड़ा जाता है।

  1. भगवान विष्णु की पूजा: कार्तिक पूर्णिमा के दिन
    विष्णु जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
    भक्त विष्णु जी का स्मरण कर व्रत रखते हैं और विष्णु
    सहस्रनाम का पाठ करते हैं। इस दिन तुलसी माता की
    पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है, क्योंकि तुलसी
    को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है।
  2. भगवान शिव की पूजा: इस दिन शिव जी की भी पूजा
    की जाती है, क्योंकि इस दिन उन्होंने त्रिपुरासुर राक्षस
    का वध कर तीनों लोकों की रक्षा की थी। इस कारण इसे
    ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। शिवलिंग पर जल
    और दूध अर्पित कर शिवजी की आराधना की जाती है।
  3. दीपदान और गंगा स्नान: कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा
    स्नान का भी विशेष महत्व है। लोग पवित्र नदियों में स्नान
    करके दीपदान करते हैं, जिससे उन्हें पुण्य की प्राप्ति
    होती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, शिव, और
तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्त्व होता है, और
इसे मोक्ष और आत्मशुद्धि के पर्व के रूप में भी मनाया
जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा: इतिहास, महत्व और पूजा विधि

कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इसे
कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसमें
गंगा स्नान, दीपदान और दान जैसे धार्मिक कार्यों का
विशेष महत्त्व है। यह पर्व भगवान शिव और विष्णु दोनों
की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है, और इस दिन
का संबंध पौराणिक कथाओं और लोक मान्यताओं से भी
है। आइए, कार्तिक पूर्णिमा के महत्व और विभिन्न
पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का इतिहास और पौराणिक कथाएँ

Kartik Purnima से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। ऐसा
माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य
अवतार धारण किया था, जिससे धर्म की स्थापना की
गई। इसके अलावा, यह पर्व भगवान शिव के त्रिपुरासुर
नामक राक्षस के वध से भी जुड़ा है। शिवजी ने इस दिन
त्रिपुरासुर का संहार करके तीनों लोकों की रक्षा की थी,
जिसके कारण इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। इन
कथाओं के माध्यम से कार्तिक पूर्णिमा को धर्म और न्याय
के विजय के पर्व के रूप में देखा जाता है।

विभिन्न राज्यों में कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

भारत में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व विभिन्न राज्यों में
विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के
वाराणसी और प्रयागराज में गंगा स्नान का विशेष महत्त्व
है, वहीं ओडिशा और पश्चिम बंगाल में इसे ‘बोइता बंदना’
के रूप में मनाया जाता है। बिहार में लोग गंगा किनारे
दीपदान करते हैं। प्रत्येक राज्य की परंपराओं में भिन्नता
होते हुए भी, कार्तिक पूर्णिमा का उद्देश्य एक ही है –
आत्मशुद्धि और ईश्वर की भक्ति।

गंगा स्नान का महत्व और धार्मिक लाभ

Kartik Purnima पर गंगा स्नान को बहुत पवित्र माना गया
है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से समस्त
पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का
अवसर मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने
से न केवल आत्मशुद्धि होती है, बल्कि इसे भौतिक
जीवन में सुख और शांति लाने वाला भी माना गया है।
इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा के तटों पर एकत्र होकर
स्नान करते हैं और प्रार्थना करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले दान और

उनके महत्व

Kartik Purnima के दिन दान करने का विशेष महत्त्व है।
इस दिन अन्न दान, वस्त्र दान, और दीपदान का विधान
है। अन्न दान से भूखे लोगों की मदद होती है, वस्त्र दान से
जरूरतमंदों को सहारा मिलता है, और दीपदान से जीवन
में उजाला और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यता है कि
इस दिन किए गए दान से आने वाले जन्मों में सुख, शांति
और धन की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान और उसकी विधि

दीपदान का Kartik Purnima पर विशेष महत्व है। लोग
गंगा और अन्य पवित्र नदियों के किनारे दीप जलाकर
अपने पितरों को समर्पित करते हैं। इस दिन दीपदान
करने का उद्देश्य जीवन से नकारात्मकता को दूर करना
और घर में सुख-समृद्धि लाना होता है। दीप जलाने के
बाद इसे पानी में प्रवाहित करने की परंपरा है, जिससे
यह मान्यता है कि नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और
व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का प्रवेश होता है।

तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व

Kartik Purnima पर तुलसी माता की पूजा का भी विशेष
महत्त्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तुलसी माता
की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों
को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे के पास
दीप जलाना और भगवान विष्णु का ध्यान करना अत्यंत
पुण्यदायी माना गया है। तुलसी पूजा से परिवार में
सुख-शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित अन्य धार्मिक अनुष्ठान

Kartik Purnima के दिन कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते
हैं, जैसे कि हवन, कथा-पाठ, और भजन-कीर्तन। इस
दिन मंदिरों में भव्य आरती का आयोजन होता है और
भक्तजन भक्ति भाव से भगवान विष्णु जी की आरती और शिव की
आरती
करते हैं। हवन और भजन-कीर्तन करने से
वातावरण में शुद्धता और सकारात्मकता आती है। इस
दिन गंगा आरती का आयोजन विशेष रूप से किया जाता
है, जिसमें भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर उपवास का महत्व और विधि

Kartik Purnima पर उपवास का विशेष महत्त्व है। इस
दिन उपवास रखने वाले श्रद्धालु दिनभर जल का सेवन
करके व्रत करते हैं। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का
समापन किया जाता है। उपवास के दौरान भगवान विष्णु
और शिव की आराधना की जाती है और इस व्रत से
मनुष्य की आत्मा शुद्ध होती है।

निष्कर्ष

Kartik Purnima 2024 Date हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो
पवित्रता, भक्ति और सेवा का संदेश देता है। इस दिन
व्रत, स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व है और
यह व्यक्ति को आत्मशुद्धि की ओर ले जाता है। धार्मिक
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए पुण्य कर्म का
फल बहुत अधिक होता है और भगवान विष्णु और शिव
का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस प्रकार, Kartik Purnima का पर्व हिंदू धर्म के
श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है
और यह दिन उनके जीवन को पवित्रता और
सकारात्मकता से भर देता है।

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