April 11, 2025
Navratri Maha Ashtami 2024: कब है ? महाअष्टमी का व्रत कन्या पूजन, किस दिन करें।

Navratri Maha Ashtami 2024: कब है?

Navratri Maha Ashtami 2024: कब है ? महाअष्टमी का व्रत कन्या पूजन, किस दिन करें।

Navratri Maha Ashtami 2024: कब है ? महाअष्टमी का व्रत कन्या पूजन, किस दिन करें।

शारदीय नवरात्रि (Maha Ashtami 2024) भारत में एक अत्यंत पवित्र और विशेष पर्व है, जिसे हर वर्ष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, जिनमें से महाअष्टमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल महाअष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण मां महागौरी की पूजा करते हैं और विशेष रूप से कन्या पूजन का महत्व होता है।

महाष्टमी कब है?

Maha Ashtami 2024 तिथि इस वर्ष 10 अक्टूबर 2024 को प्रातः 7:30 बजे शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को प्रातः 7:00 बजे समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ होगी जोकि अगले दिन 12 शनिवार को प्रातः 5 बज कर 47 मिनट तक रहेगी इस दिन देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तगण सुबह से लेकर साम तक पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन को माता की शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जब भक्त अपने मन की इच्छाओं के साथ मां दुर्गा के समक्ष उपस्थित होते हैं।

महाष्टमी व्रत कब करें

Maha Ashtami 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को करना उचित होगा और उसी दिन संध्या में जगरना (जागरण) करें। इस दिन, भक्तजन अपने घरों में विधिपूर्वक मां दुर्गा की महागौरी स्वरूप की पूजा करें। इस दिन, नवमी के हवन पूजन छाग (बलि) विशेषकर, कन्या पूजन का आयोजन होगा । 9 कुंवारी कन्याओं को आमंत्रित करना और उन्हें भोजन कराना इस दिन का एक प्रमुख धार्मिक कर्तव्य है। कन्या पूजन से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

क्या अष्टमी और नवमी एक ही दिन है?

इस वर्ष, महाअष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन, यानी 11 अक्टूबर को महाष्टमी का पूजन और व्रत की जाएगी। उसके बाद, नवमी के हवन की करनी है। यह दिन न केवल पूजा का अवसर है, बल्कि भक्तों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का भी सुनहरा मौका है।

Maha Ashtami के दिन हवन करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हवन में अग्नि को समर्पित सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे देवी दुर्गा को प्रसन्न किया जा सके। इसके अलावा, इस दिन कन्या कुमारी का भोजन कराना अत्यंत आवश्यक है। 9 कुंवारी कन्याओं को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें, जिससे माता रानी की कृपा बनी रहे।

कन्या पूजन और पारण का समय

कन्या पूजन के बाद नवरात्रि का व्रत तोड़ा जा सकता है। पारण का सबसे उपयुक्त समय नवमी के बाद होता है, जब दशमी तिथि का आरंभ हो चुका होता है। इस दिन सच्ची श्रद्धा से की गई पूजा से भक्तों को सुख और शांति प्राप्त होती है। कन्या पूजन करते समय कुछ विशेष बातें ध्यान में रखना चाहिए। 2 से 10 वर्ष की कुंवारी कन्याओं का पूजन करना चाहिए। उन्हें चावल, फल, मिठाई, और अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके बाद उन्हें नए कपड़े और उपहार दें, जिससे वे प्रसन्न हों।

महाअष्टमी के महत्व

Maha Ashtami नवरात्रि का एक ऐसा दिन है, जब भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति से मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस दिन की गई पूजा से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि भौतिक सुख भी मिलता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन मां दुर्गा की कृपा से वे अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।

महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन की पूजा से मानसिक तनाव और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। विशेष रूप से, जो भक्त इस दिन देवी दुर्गा की आराधना करते हैं, उन्हें सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि के अन्य दिनों का महत्व

शारदीय नवरात्रि के अन्य दिनों में भी देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रतिदिन अलग-अलग देवी स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों को विभिन्न आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। नवरात्रि के पहले तीन दिन मां दुर्गा के महाकाल स्वरूप की पूजा की जाती है। इसके बाद के तीन दिनों में मां लक्ष्मी और अंतिम तीन दिनों में मां सरस्वती की पूजा होती है।

निष्कर्ष

इस शारदीय नवरात्रि के Maha Ashtami पर्व पर, हम सभी मां दुर्गा की कृपा से अपने जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति करें। 11 अक्टूबर 2024 को महाअष्टमी का व्रत करें और उसी दिन नवमी के हवन और कन्या कुमारी का भोजन कराना न भूलें। इस प्रकार, हम सभी मिलकर इस पर्व को धूमधाम से मनाकर देवी दुर्गा के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

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