April 7, 2025
Somvar vrat katha

Solaha Somvar vrat katha: सोमवार व्रत कथा..

Somvar vrat katha


Solaha Somvar vrat katha: भगवान शिव की कृपा से पुत्र प्राप्ति

पहले समय की बात

Solaha Somvar vrat katha: पहले समय में एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसका व्यापार दूर-दूर तक फैला हुआ था, और नगर के सभी लोग उसका सम्मान करते थे। व्यापारी के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसके जीवन में एक बहुत बड़ा दुःख था—उसके पास कोई पुत्र नहीं था। बिना उत्तराधिकारी के, उसे हमेशा चिंता सताती रहती थी कि उसकी संपत्ति और व्यापार का क्या होगा।

पुत्र प्राप्ति की कामना

पुत्र प्राप्ति की तीव्र इच्छा के कारण व्यापारी ने हर सोमवार भगवान शिव की पूजा और व्रत करना शुरू किया। वह हर सोमवार को व्रत रखता और शाम के समय शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाया करता था। उसकी यह निष्ठा और श्रद्धा देखकर माता पार्वती बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करने का निवेदन किया।

भगवान शिव का आशीर्वाद

भगवान शिव ने कहा, “इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है। जो जैसा कर्म करते हैं, उन्हें वैसा ही फल मिलता है।” लेकिन माता पार्वती के बार-बार अनुरोध करने पर भगवान शिव ने अंततः उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। भगवान शिव ने व्यापारी के सपने में आकर कहा, “तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी, लेकिन उसकी आयु केवल 16 वर्ष होगी।”

पुत्र का जन्म

भगवान शिव के वरदान के कुछ महीनों बाद व्यापारी के घर में एक अति सुन्दर बालक का जन्म हुआ। पूरे घर में खुशियां छा गईं, और पुत्र जन्म का समारोह धूमधाम से मनाया गया। हालांकि, व्यापारी के मन में पुत्र की अल्पायु की चिंता सदैव बनी रही। जब उसका पुत्र 12 वर्ष का हुआ, तो व्यापारी ने उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसके मामा के साथ वाराणसी भेज दिया।

विवाह का प्रसंग

पुत्र अपने मामा के साथ वाराणसी की ओर चल पड़ा। रास्ते में वे एक नगर में पहुंचे, जहां उस दिन राजा की कन्या का विवाह हो रहा था। बारात आ चुकी थी, लेकिन वर का पिता चिंतित था, क्योंकि उसका पुत्र एक आंख से काना था। उसे डर था कि राजा को यह बात पता चलने पर विवाह टूट जाएगा। जब वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को देखा, तो उसने सोचा कि क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं।

विवाह और सत्य का उद्घाटन

वर के पिता ने लड़के के मामा से बात की, और मामा ने लालच में आकर इस योजना को मान लिया। लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह करा दिया गया। लेकिन विवाह के बाद, लड़के ने राजकुमारी से सच छिपा नहीं पाया और उसकी ओढ़नी पर लिख दिया, “राजकुमारी, तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ था, मैं तो वाराणसी पढ़ने जा रहा हूं, और अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।”

राजकुमारी का इनकार और बालक की मृत्यु

जब राजकुमारी ने यह पढ़ा, तो उसने काने नवयुवक के साथ जाने से इनकार कर दिया। राजा ने पूरी सच्चाई जानकर राजकुमारी को महल में रखा। उधर, व्यापारी का पुत्र अपने मामा के साथ वाराणसी पहुंच गया और गुरुकुल में पढ़ाई शुरू कर दी। जब उसकी आयु 16 वर्ष हुई, तो उसने यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब दान-पुण्य किया। रात को सोते समय, शिव के वरदान के अनुसार, उसकी मृत्यु हो गई।

माता पार्वती की करुणा और पुत्र का पुनर्जन्म

लड़के के मामा के रोने-पीटने की आवाज सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती ने उसे सुना। माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा, “प्राणनाथ, मुझे इसके रोने का स्वर सहन नहीं हो रहा है। आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें।” भगवान शिव ने माता पार्वती के आग्रह पर बालक को जीवनदान दिया और कुछ ही पलों में वह जीवित होकर उठ बैठा।

पुत्र की वापसी और व्यापारी की खुशी

शिक्षा समाप्ति के बाद, लड़का अपने मामा के साथ अपने नगर लौट आया। नगर पहुंचने पर राजा ने मामा और बालक को पहचाना और उन्हें महल में बुलाया। राजा ने राजकुमारी को लड़के के साथ पुनः विदा किया और उन्हें बहुत-सा धन, वस्त्र आदि देकर सम्मानित किया। व्यापारी और उसकी पत्नी अपने पुत्र के वापस आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने पुत्र की जीवित वापसी का समाचार सुना, वे अत्यंत प्रसन्न हुए।

भगवान शिव का आशीर्वाद और व्रत की महिमा

रात को भगवान शिव ने व्यापारी के सपने में आकर कहा, “हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है।” व्यापारी यह सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ और अपने पुत्र की लंबी आयु की खुशी में उसने शिवजी की भक्ति और श्रद्धा के साथ धन्यवाद दिया।

सोमवार का व्रत करने से व्यापारी के घर में खुशियां लौट आईं। शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्त्री-पुरुष सोमवार का विधिवत व्रत करते और व्रतकथा सुनते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

यह कथा न केवल Solaha Somvar vrat katha की महिमा को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से भगवान की कृपा कैसे प्राप्त की जा सकती है। जो लोग सोमवार का व्रत करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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Somvar vrat katha: भगवान शिव की कृपा का महत्व और सारांश

Solaha Somvar vrat katha एक महत्वपूर्ण धार्मिक कथा है जो भगवान शिव की कृपा और भक्त के सच्चे विश्वास को दर्शाती है। इस Somvar vrat katha में एक धनी व्यापारी की कहानी है, जो संतान सुख से वंचित होने के कारण अत्यंत दुखी रहता था। संतान प्राप्ति की तीव्र इच्छा से प्रेरित होकर वह प्रत्येक सोमवार भगवान शिव का व्रत करता और श्रद्धा के साथ शिव मंदिर में घी का दीपक जलाता था।

Solaha Somvar vrat katha के अनुसार, उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान तो दिया, लेकिन उसके पुत्र की आयु केवल 16 वर्ष तय की। Solaha Somvar vrat katha आगे बताती है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से व्यापारी के घर एक सुंदर बालक का जन्म हुआ, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने व्यापारी की खुशी को कम कर दिया।

Solaha Somvar vrat katha में यह भी उल्लेख है कि जब व्यापारी का पुत्र 16 वर्ष का हुआ, तो उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उसे जीवनदान दिया। इस प्रकार, Solaha Somvar vrat katha दर्शाती है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत कथा में बताया गया है कि सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Solaha Somvar vrat katha: के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करता है, उसे भगवान शिव की कृपा से अपार सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस Solaha Somvar vrat katha का महत्व असीम है और यह हमें जीवन में भक्ति और विश्वास का पाठ पढ़ाती है।

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