वास्तु के अनुसार बाथरूम की सही दिशा घर मे किस स्थान पर बाथरूम बनाना चाहते जाने इस लेख में सब कुछ

वास्तु के अनुसार बाथरूम: वास्तु शास्त्र हमारे जीवन में
सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने और घर में
सुख-समृद्धि लाने का विज्ञान है। घर के हर कोने की
दिशा, उसका उपयोग, और उसमें मौजूद वस्तुओं का
स्थान जीवन के हर पहलू पर असर डालता है। इन्हीं में से
एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बाथरूम, जिसका वास्तु के
अनुसार बाथरूम सही दिशा में होना अत्यंत आवश्यक है।
बाथरूम केवल स्वच्छता और आराम का स्थान नहीं है,
बल्कि इसके वास्तु दोष से स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और
मानसिक शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि वास्तु के अनुसार बाथरूम की
सही दिशा क्या होनी चाहिए और उससे संबंधित कुछ
महत्वपूर्ण नियम।
वास्तु के अनुसार बाथरूम की सही दिशा
वास्तु के अनुसार बाथरूम, का निर्माण हमेशा
पश्चिम (West) या दक्षिण (South) दिशा में होना
चाहिए। यह दिशाएं जल तत्व के संतुलन और
नकारात्मक ऊर्जा के सही प्रवाह के लिए सबसे उपयुक्त
मानी जाती हैं।
पश्चिम दिशा में बाथरूम
वास्तु के अनुसार बाथरूम पश्चिम दिशा के लिए आदर्श
माना गया है। यह दिशा जल तत्व के प्रवाह को नियंत्रित
करती है और घर के अन्य हिस्सों को नकारात्मक ऊर्जा
से बचाती है।
दक्षिण दिशा में बाथरूम
दक्षिण दिशा में बाथरूम बनाने से घर में सकारात्मक
ऊर्जा बनी रहती है। यह दिशा बाथरूम के जल निकास
और गंदगी को सही स्थान पर केंद्रित रखने में सहायक
होती है।
अन्य दिशाओं में बाथरूम बनाने के लिए समाधान
यदि किसी कारणवश बाथरूम इन दिशाओं में नहीं
बनाया जा सकता, तो वास्तु के अनुसार बाथरूम कुछ
अन्य स्थानों पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
- वास्तु पिरामिड का उपयोग करें।
- बाथरूम के दरवाजे पर वास्तु के अनुसार रंगों का
प्रयोग करें। - सुगंधित मोमबत्तियां या सेंधा नमक का उपयोग करें।
बाथरूम की टंकी (स्टोरेज) की सही दिशा
घर में बाथरूम की टंकी का सही स्थान भी बाथरूम के
वास्तु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- उत्तर-पश्चिम दिशा (North-West):
पानी की टंकी को हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना
सबसे अच्छा होता है। यह घर में जल तत्व को संतुलित
करता है और स्वास्थ्य व समृद्धि बनाए रखता है। - एक साथ स्थान पर बाथरूम और टंकी:
यदि स्थान की कमी के कारण बाथरूम और पानी की
टंकी को एक साथ रखना पड़े, तो इसे उत्तर-पश्चिम
दिशा में रखें। यह व्यवस्था वास्तु के अनुसार सही
मानी जाती है।
बाथरूम का वास्तु दोष और समाधान
अगर घर में पहले से बना बाथरूम वास्तु के अनुसार
सही दिशा में नहीं है, तो इसके दोष को दूर करने के लिए
निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सुगंध और स्वच्छता:
बाथरूम में हमेशा सुगंधित चीजें रखें, जैसे कि
अगरबत्ती, मोमबत्ती, या फूल। यह नकारात्मक ऊर्जा
को कम करने में सहायक होता है। - सेंधा नमक:
बाथरूम में एक कटोरी सेंधा नमक रखें। यह वास्तु
दोष को कम करता है और नकारात्मक ऊर्जा को सोखता है। - पौधे:
बाथरूम के पास छोटे पौधे लगाएं। यह प्राकृतिक
ऊर्जा को संतुलित करने का काम करता है। - वास्तु दिशा सूचक (Compass):
बाथरूम की दिशा में सुधार के लिए वास्तु दिशा
सूचक का उपयोग करें।
बाथरूम निर्माण के अन्य वास्तु नियम
बाथरूम का दरवाजा और वेंटिलेशन
- बाथरूम का दरवाजा हमेशा पूर्व (East) या उत्तर
(North) दिशा में खुलना चाहिए। - बाथरूम में प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन का होना
जरूरी है। इससे नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है।
शौचालय और बाथरूम को अलग रखें
यदि संभव हो, तो शौचालय और बाथरूम को
अलग-अलग स्थान पर बनाएं। इसे वास्तु में शुभ माना
गया है।
दर्पण लगाए- बाथरूम में दर्पण को लगाना चाहिए इसे
उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। यह दिशा
सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है।
पानी का बहाव- बाथरूम का पानी हमेशा उत्तर-पूर्व
(North-East) दिशा में बहना चाहिए। इससे घर में
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
सही दिशा से होने वाले लाभ
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम की सही दिशा से
निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
- घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति और सुख-समृद्धि का संचार होता है।
निष्कर्ष
बाथरूम और बाथ की टंकी का वास्तु
के अनुसार सही दिशा में होना घर में सकारात्मक ऊर्जा
और समृद्धि का प्रमुख आधार है। वास्तु नियमों का
पालन करते हुए बाथरूम को पश्चिम या दक्षिण दिशा में
बनाना चाहिए और बाथरूम की टंकी को उत्तर-पश्चिम
दिशा में रखना चाहिए। अगर इन दिशाओं का पालन
करना संभव न हो, तो वास्तु दोष के उपाय जरूर
अपनाएं। स्वच्छता, सुगंध, और पौधों का प्रयोग बाथरूम
के दोषों को कम कर सकता है।
इस प्रकार, वास्तु के अनुसार बाथरूम और उसके स्थान
की सही योजना से घर के वातावरण में संतुलन और
शांति स्थापित की जा सकती है।
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बातें पूजा घर सीढ़ी कहाँ.