शारदीय नवरात्रि 2024: जानिए प्रारम्भ तिथि और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2024

शारदीय नवरात्रि 2024: जानिए प्रारम्भ तिथि और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2024 हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो शक्ति की देवी माँ दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है। इस नौ-दिवसीय पर्व के दौरान भक्तगण माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस ब्लॉग में हम शारदीय नवरात्रि 2024 की तिथि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, और इस त्योहार के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

शारदीय नवरात्रि 2024 की तिथि

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 2024 का प्रारंभ 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार से हो रहा है और इसका समापन 20 अक्टूबर 2024, रविवार को होगा। यह नौ दिनों का पर्व विशेषकर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, और पूरे देश में भक्तगण इस पर्व का अनुसरण करते हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। यह पूजा का प्रारंभिक चरण है जिसमें देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है। शारदीय नवरात्रि 2024 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:10 से 07:40 बजे तक रहेगा। इस समय पर किया गया कलश स्थापना का अनुष्ठान बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता है।

नवरात्रि का महत्व और उद्देश्य

नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है ‘नौ रातें’, और इन नौ रातों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का मूल उद्देश्य है आत्म-शुद्धि, आंतरिक शक्ति का संचार और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करना। शारदीय नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से भक्त अपनी इच्छाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। यह पर्व आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाने और नैतिकता के पालन का संदेश देता है।

नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व

शारदीय नवरात्रि 2024के नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होते हैं, जिनमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है:

  1. शैलपुत्री (प्रथम दिन): यह दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री रूप को समर्पित है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं।
  2. ब्रह्मचारिणी (द्वितीय दिन): इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो ब्रह्मज्ञान और तपस्या की देवी हैं।
  3. चंद्रघंटा (तृतीय दिन): चंद्रघंटा का अर्थ है चंद्रमा के समान शीतल और शांति प्रदान करने वाली देवी।
  4. कूष्मांडा (चतुर्थ दिन): यह दिन देवी कूष्मांडा की पूजा के लिए होता है, जो ब्रह्माण्ड की सृष्टि करने वाली शक्ति हैं।
  5. स्कंदमाता (पंचम दिन): स्कंदमाता देवी स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
  6. कात्यायनी (षष्ठ दिन): यह दिन देवी कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं।
  7. कालरात्रि (सप्तम दिन): इस दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो बुरी शक्तियों का नाश करने वाली मानी जाती हैं।
  8. महागौरी (अष्टम दिन): यह दिन देवी महागौरी की पूजा के लिए है, जो शुद्धता और शांति की देवी हैं।
  9. सिद्धिदात्री (नवम दिन): नवरात्रि के अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों की प्रदाता हैं।

नवरात्रि में व्रत और उपवास का महत्व

शारदीय नवरात्रि 2024 के दौरान उपवास रखने की परंपरा है। उपवास का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि है, जो आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। भक्तगण अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करते हैं, जिससे वे देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकें।

नवरात्रि में कलश स्थापना और पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जो पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते, नारियल, और अक्षत रखे जाते हैं। इसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है और देवी का आह्वान किया जाता है। इसके बाद, प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ और देवी की आरती की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार पूजा, भजन, और कीर्तन का आयोजन होता है।

शारदीय नवरात्रि का इतिहास और मौलिकता

शारदीय नवरात्रि का इतिहास अत्यंत पुराना है और यह भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व देवी दुर्गा की शक्ति की पूजा का प्रतीक है, जो प्राचीन काल से ही मनाया जा रहा है। देवी की महिमा का बखान विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में किया गया है, जिसमें उनकी विजय की कहानियाँ और उनकी शक्ति का वर्णन मिलता है।

नवरात्रि के विशेष व्यंजन

नवरात्रि के दौरान उपवास करने वाले भक्तगण सात्विक आहार का पालन करते हैं। इसमें फल, दूध, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, और कुट्टू का आटा आदि का सेवन किया जाता है। इन व्यंजनों का धार्मिक महत्व है और ये भक्तों को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि 2024 का पर्व माँ दुर्गा की उपासना और शक्ति की आराधना के लिए समर्पित है। इस नौ-दिवसीय उत्सव के दौरान भक्तगण माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। शारदीय नवरात्रि का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आध्यात्मिक और नैतिक जीवन को संवारने का भी अवसर प्रदान करता है।

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