Shri Vishwakarma Chalisa: विश्वकर्मा जी की महिमा और उनका पूजन

Shri Vishwakarma Chalisa: विश्वकर्मा जी की महिमा और उनका पूजन

Shri Vishwakarma Chalisa

Shri Vishwakarma Chalisa: भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के शिल्पकार और निर्माण देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें वास्तुशास्त्र, निर्माण, और यांत्रिक कार्यों के विशेषज्ञ देवता माना जाता है। हर साल विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर उनका पूजन विधिपूर्वक किया जाता है। विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोग, जैसे कि कारीगर, इंजीनियर, और मजदूर, भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। Shri Vishwakarma Chalisa का पाठ भगवान की महिमा का गुणगान करते हुए जीवन में समृद्धि और सफलताओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए, Shri Vishwakarma Chalisa का पाठ करें:

Shri Vishwakarma Chalisa: श्री विश्वकर्मा चालीसा

दोहा –

श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊँ, चरणकमल धरिध्यान।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान।।

जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना।।
शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी।।

अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर।।
अद्रभुत सकल सुष्टि के कर्त्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्त्ता ।।
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोइ विश्व मुँह जानत नाही।।
विश्व सृष्टि-कर्त्ता विश्वेशा। अद्रभुत वरण विराज सुवेशा।।

एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे ।।
चक्रसुदर्शन धारण कीन्हे। वारि कमण्डल वर कर लीन्हे ।।
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा।।
धमुष वाण अरू त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे।।

दसवाँ हस्त बरद जग हेतू। अति भव सिंधु माँहि वर सेतू ।।
सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ ।।
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका।।
विष्णुहिं चक्र शुल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं।।
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की
आशा।।

भाँति – भाँति के अस्त्र रचाये। सतपथ को प्रभु सदा बचाये।।
अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता।।
लौह काष्ट ताम्र पाषाना। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना।।
विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद् भुत काज सवारी।।

खान पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना।।
विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त
संसारा ।।
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका।।
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला।।

तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ ।।
भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका। कियउ काज सब भये अशोका।।
अद् भुत रचे यान मनहारी। जल-थल-गगन माँहि-समचारी।।
शिव अरु विश्वकर्म प्रभु माँही। विज्ञान कह अतंर नाही।।

बरनै कौन स्वरुप तुम्हारा। सकल सृष्टि है तव विस्तारा।।
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी।।
मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी।।
चारो युग परपात तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा।।

ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता। वर विज्ञान वेद के ज्ञाता।।
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें है रक्षा।।
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा। हवै निष्काम करै निज कर्मा ।।
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मुँह जोइ ।।

जै जै जै भौवन विश्वकर्मा। करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा।।
इक सौ आठ जाप कर जोई। छीजै विपति महा सुख होई।।
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा। होय सिद्ध साक्षी गौरीशा।।
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे। हो प्रसन्न हम बालक तेरे ।।
मैं हूँ सदा उमापति चेरा। सदा करो प्रभु मन मुँह डेरा।।

।।दोहा।।

करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरुप।
श्री शुभदा रचना सहित, हृदय बसहु सुरभुप ।।

Shri Vishwakarma Chalisa sampurn

Shri Vishwakarma Chalisa: विश्वकर्मा जी की महिमा और उनका पूजन

Shri Vishwakarma Chalisa (2)

दोहा:
श्री विश्वकर्मा जी विनय, करहु कृपा मुझ पर।
दुखहारी सुखकारी प्रभु, शरण गहूँ मैं कर॥

चौपाई:
जय जय श्री विश्वकर्मा दाता।
तुम हो सृष्टि रचयिता विधाता॥

सकल सृष्टि तुम्हरे ही हाथी।
तुम बिन सब जगत अंधियारो॥

सृष्टि साजि बनाई तुम भारी।
सबके जीवन में समृद्धि पसारी॥

स्वर्ग, भवन, भूमि सजाई।
तुम ही सृष्टिकर्ता कहाई॥

रथ, विमान, महल तुम बनाये।
दिव्य रचना से जग चमकाए॥

लंकापुरी तुमने बनाई।
सोने की नगरी सुघर सजाई॥

इन्द्रपुरी और शिव का डेरा।
सब कुछ तुमने ही रच डेरा॥

सब देवों के भवन बनाये।
तुम हो महान सृष्टिकर्ता कहाए॥

विश्वकर्मा जयति तुम्हारी महिमा।
तुमसे बढ़कर कोई नहीं क्षमा॥

जो नर ध्यान धरै तुमको।
सुख सम्पत्ति पावै बिन ही तज को॥

मंदिर, महल, घर सब सजाओ।
तुमसे कोई नहीं दूजा कहाओ॥

कला, विज्ञान, शिल्प सभी के।
प्रथम जनक तुम सृष्टि के ठहरे॥

धूप, दीप नैवेद्य चढ़ाए।
भक्त तुम्हारी कृपा पाए॥

विश्वकर्मा जयति बलशाली।
तुम ही हो सृष्टिकर्ता महाकाली॥

तुम ही हो जग के आधार।
सकल जगत तुमसे साकार॥

जो नर भजे विश्वकर्मा प्रभु।
उसके जीवन में होय सब सुघुप॥

दोहा:
विश्वकर्मा भगवान की, जो सच्चे मन से गाए।
रोग-दोष सब दूर कर, सुख सम्पत्ति पाये॥

विश्वकर्मा जी का पूजन

भगवान विश्वकर्मा का पूजन विशेष रूप से उनके द्वारा रचित संसार की समृद्धि और निर्माण की शक्तियों को सम्मानित करने के लिए किया जाता है। इस दिन मशीनों, उपकरणों और यंत्रों की भी पूजा की जाती है, ताकि वे सुचारू रूप से कार्य करें और जीवन में समृद्धि और प्रगति लाएं।

पूजन विधि:

  1. सर्वप्रथम भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र के सामने धूप, दीप, फूल, अक्षत और नैवेद्य चढ़ाएं।
  2. पूजा के दौरान विश्वकर्मा जी की चालीसा और आरती का पाठ करें।
  3. पूजा के अंत में प्रसाद वितरण करें और यंत्रों या मशीनों को लाल कपड़े से सजाकर उनकी भी पूजा करें।
  4. इस दिन निर्माण कार्यों से जुड़ी वस्तुओं का आदर करें और नई योजनाओं का शुभारंभ करें।

विश्वकर्मा जी की पूजा करने से कार्यों में सफलता, यंत्रों में स्थिरता, और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

Shri Vishwakarma Chalisa श्री विश्वकर्मा पूजा विधि समाप्त

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