Somvati Amavasya 2024: अमावस्या कब है? जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
परिचय
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, और जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, तो उसे “सोमवती अमावस्या” कहा जाता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्त्व है और इसे करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रत और पूजा-पाठ का भी विशेष लाभ बताया गया है।
Somvati Amavasya 2024 कब है?
Somvati Amavasya 2024 की तिथि
सोमवती अमावस्या इस वर्ष 9 सितंबर को पड़ रही है। यह दिन उन सभी श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है जो पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पितरों के लिए तर्पण करते हैं और साथ ही भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन की शुरुआत में ही पवित्र नदियों, जलाशयों या घर के ही पवित्र जल में स्नान किया जाता है। इसके बाद पितरों के लिए तर्पण किया जाता है और दान-पुण्य का कार्य किया जाता है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- स्नान का समय: प्रातः 4:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक
- दान का समय: प्रातः 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
स्नान के बाद दान का कार्य किया जाता है। इस दिन तिल, वस्त्र, अन्न, घी और सोने का दान अत्यधिक फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही, पवित्र ग्रंथों के अनुसार, इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना और उसे जल चढ़ाना बहुत लाभकारी माना गया है।
Somvati Amavasya का धार्मिक महत्व
सोमवती अमावस्या का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन किए गए कार्यों का फल व्यक्ति को तुरंत प्राप्त होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया व्रत, पूजा और दान व्यक्ति के पापों को नष्ट करता है और उसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
महिलाओं के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इसके अलावा, संतान प्राप्ति और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए भी यह व्रत अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
सोमवती अमावस्या व्रत और पूजा विधि
Somvati Amavasya के दिन व्रत रखने और पूजा करने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
व्रत के दौरान व्यक्ति को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए और केवल जल का सेवन करना चाहिए। शाम को पीपल के वृक्ष के पास जाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। पीपल के वृक्ष की जड़ में दूध, जल और काले तिल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद वृक्ष की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए और अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करनी चाहिए।
दान का महत्व
के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, वस्त्र दान करना, अन्न दान करना और गरीबों को भोजन कराना बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है। इसके अलावा, पितरों के लिए तर्पण करना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
यह भी मान्यता है कि इस दिन किए गए दान से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है और उसके पितरों को शांति मिलती है। इस दिन तिल, आंवला, वस्त्र, अन्न, घी, और सोने का दान करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
निष्कर्ष
Somvati Amavasya 2024 एक विशेष और पवित्र दिन है जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और उसके पापों का नाश होता है। इसलिए, इस पावन दिन का पूरा लाभ उठाने के लिए श्रद्धालुओं को पूरे विधि-विधान से पूजा और दान का कार्य करना चाहिए।
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Jay bholenath