सूर्य देवता की आरती (Surya Dev ki Aarti Lyrics) 5 विशेष बातें।
Surya Dev ki Aarti” सूर्य देव की महिमा का बखान करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है। हर सुबह Surya Dev ki Aarti का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोबल बढ़ता है। Surya Dev ki Aarti के माध्यम से हम सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनका धन्यवाद अर्पित करते हैं, क्योंकि वे सभी जीवों के जीवनदायिनी और ऊर्जा स्रोत हैं।
अगर आप सूर्योदय से पहले Surya Dev ki Aarti का जाप करते हैं, तो यह आपकी दिनचर्या को संतुलित और शुभ बनाता है। इस आरती में सूर्य देव के अद्वितीय गुणों और उनके दिव्य रूप का वर्णन किया जाता है। Surya Dev ki Aarti को नियमित रूप से करने से न केवल शारीरिक बल मिलता है, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है।
इस प्रकार Surya Dev ki Aarti का जाप न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमारे जीवन को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करता है।
सूर्य देवता की आरती Surya Dev ki Aarti
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान..।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा। स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान,
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।
Surya Dev ki Aarti सूर्य देवता की आरती सम्पूर्ण
Surya Dev के महत्व को समझने के साथ, अगर आप सूर्य भगवान की पूर्ण आराधना करना चाहते हैं, तो आदित्यहृदय स्त्रोत्रम् का पाठ भी अत्यंत लाभकारी है। यह स्त्रोत्र विशेष रूप से सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रभावी माना जाता है और इसका पाठ जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा और सफलता लाने में सहायक है। आप इस स्त्रोत्र का नियमित रूप से जाप करके सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सूर्य देवता की पूजा विधि (Surya Devta Pooja Vidhi)
सूर्य देवता की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि सूर्य को जीवन का प्रतीक और सम्पूर्ण ब्रह्मांड का ऊर्जा स्रोत माना जाता है। यदि आप सूर्य देवता की पूजा करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित विधियों का पालन कर सकते हैं:
सूर्य देव की पूजा करने की विधि:
- समय और स्थान: सूर्य पूजा सुबह सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। सुबह का समय सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है। पूजा खुले स्थान पर या घर की छत पर की जा सकती है, जहां सूर्य की रोशनी सीधे आ सके।
- पूजा सामग्री: पूजा में ताजे फूल, जल, कच्चा दूध, गुड़, चावल, आटे के पकवान, तांबे का पात्र, और लाल रंग का कपड़ा आवश्यक होता है। सूर्य देवता को लाल रंग का बहुत प्रिय माना जाता है, इसलिए लाल रंग के फूल या वस्त्र का प्रयोग करें।
- पूजन विधि:
सबसे पहले सूर्य देवता का ध्यान करें और उन्हें नमन करें।
सूर्य देवता के मंत्र का जाप करें: “ॐ घृणि सूर्याय नमः”।
जल अर्पित करते हुए सूर्य देव को समर्पित करें। जल में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर अर्पित करना अधिक लाभकारी माना जाता है।
ताजे फूल और चावल अर्पित करें।
अंत में सूर्य देव के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और उनकी आरती करें।
सूर्य पूजा से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसे नियमित रूप से करने से मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन भी मिलता है।
सूर्य देव की पूजा करने की विधि:
- समय और स्थान: सूर्य पूजा सुबह सूर्योदय से पहले करनी चाहिए। सुबह का समय सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है। पूजा खुले स्थान पर या घर की छत पर की जा सकती है, जहां सूर्य की रोशनी सीधे आ सके।
- पूजा सामग्री: पूजा में ताजे फूल, जल, कच्चा दूध, गुड़, चावल, आटे के पकवान, तांबे का पात्र, और लाल रंग का कपड़ा आवश्यक होता है। सूर्य देवता को लाल रंग का बहुत प्रिय माना जाता है, इसलिए लाल रंग के फूल या वस्त्र का प्रयोग करें।
- पूजन विधि:
सबसे पहले सूर्य देवता का ध्यान करें और उन्हें नमन करें।
सूर्य देवता के मंत्र का जाप करें: “ॐ घृणि सूर्याय नमः”।
जल अर्पित करते हुए सूर्य देव को समर्पित करें। जल में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर अर्पित करना अधिक लाभकारी माना जाता है।
ताजे फूल और चावल अर्पित करें।
अंत में सूर्य देव के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें और उनकी आरती करें।
सूर्य पूजा से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसे नियमित रूप से करने से मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन भी मिलता है।
सूर्य देवता के मंत्र (Surya Devta Ke Mantra)
सूर्य देवता की पूजा में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो शक्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए अत्यंत प्रभावी होते हैं। इन मंत्रों का जाप सूर्योदय के समय विशेष रूप से लाभकारी होता है, क्योंकि इस समय सूर्य की ऊर्जा सबसे अधिक होती है।
सूर्य देवता के प्रमुख मंत्र:
- ॐ सूर्याय नमः
यह सबसे सरल और प्रसिद्ध मंत्र है, जो सूर्य देवता को समर्पित किया जाता है। इसका जाप नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, सफलता, और समृद्धि प्राप्त होती है। - ॐ घृणि सूर्याय नमः
यह मंत्र सूर्य देवता को उनके तेज और ऊर्जा के लिए समर्पित किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति की आंतरिक शक्ति बढ़ती है। - ॐ आदित्याय च सोमाय मंगलाय बुधाय च
यह मंत्र ग्रहों के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे विशेष रूप से ग्रह दोषों से मुक्त होने के लिए पढ़ा जाता है। - सूर्य देवता के बीज मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:
इन मंत्रों का जाप सूर्योदय के समय ताजे जल में गुड़ या चावल डालकर किया जाता है। इन मंत्रों से व्यक्ति को न केवल जीवन में सुख-शांति मिलती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी लाभ होता है।